-->

Header

Today News Bihar|Pm modi News|जिस सियासी मंत्र से लालू-नीतीश बिहार पर कर रहे 30 साल से राज, उसी का PM मोदी क्यों कर रहे जाप?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 45 करोड़ गरीबों के बिना भेदभाव जनधन खाते खोलना सामाजिक न्याय के समावेशी एजेंडे का जीता जागता उदहारण है। 11 करोड़ लोगों को शौचालय मिलना ही तो सामाजिक न्याय है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 44वें स्थापना दिवस पर पार्टी मुख्यालय में पार्टी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि सामाजिक न्याय भाजपा के लिए सिर्फ राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि आस्था का विषय है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी बजरंग बली की तरह विशाल चुनौतियों से पार पाने में सक्षम है और कार्यकर्ताओं की भक्ति, समर्पण, शक्ति एवं 'राष्ट्र प्रथम' के मंत्र के बल पर देश में नयी राजनीतिक संस्कृति का सूत्रपात करने में सफल हुई है।

अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना भी शामिल है। इन राज्यों में बड़ी आबादी वैसे समुदाय की है जो दशकों से वंचित रहे हैं और सामाजिक न्याय की बाट जोहते रहे हैं। आजादी के 75 साल बाद भी आदिवासी समुदाय का बड़ा हिस्सा सरकारी योजनाओं की पहुंच से दूर है।

क्या है सामाजिक न्याय?

सामाजिक न्याय का मतलब समाज में सभी लोगों को समान मानने वाली सामाजिक विचारधारा से है। इस व्यवस्था में किसी के साथ भी सामाजिक,सांस्कृतिक धार्मिक या आर्थिक पूर्वाग्रहों के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। इसमें उन लोगों या समुदायों पर शासन का विशेष ध्यान अपेक्षित होता है, जो दशकों से सामाजिक उपेक्षा का शिकार रहे हैं और देश की विकासधारा से वंचित रहे हैं। ऐसे समुदाय में अधिकांशत: अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, कई पिछड़ी जातियां, धार्मिक अल्पसंख्यक समूह शामिल हैं। ये समुदाय दशकों से जातीय और सामाजिक-आर्थिक भेदभाव की वजह से सरकारी योजनाओं से वंचित रहे हैं।

पीएम मोदी का सामाजिक न्याय:

मिठाई से मधुमेह नहीं होता! के मुख्य

पीएम मोदी ने कहा कि सामाजिक न्याय के नाम पर कई राजनीतिक दलों ने देश के साथ खिलवाड़ किया है। उन्होंने अपने परिवारों का कल्याण सुनिश्चित किया, लोगों का नहीं। दूसरी ओर, भाजपा के लिए सामाजिक न्याय कोई राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि एक 'आस्था का अनुच्छेद' रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सामाजिक न्याय को जीती है। इसकी भावना का अक्षरश: पालन करती है। 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिलना सामाजिक न्याय का प्रतिबिंब है। 50 करोड़ गरीबों को बिना भेदभाव 5 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज की सुविधा मिलना सामाजिक न्याय की सशक्त अभव्यिक्ति है।

उन्होंने कहा कि 45 करोड़ गरीबों के बिना भेदभाव जनधन खाते खोलना सामाजिक न्याय के समावेशी एजेंडे का जीता जागता अगला उदहारण है। 11 करोड़ लोगों को शौचालय मिलना ही तो सामाजिक न्याय है। बिना तुष्टिकरण और भेदभाव किए भाजपा सामाजिक न्याय के इरादों को सच्चे अर्थों में साकार करने वाला एक पर्याय बन कर उभरी है।

नीतीश-लालू का सियासी मंत्र क्या?

1990 में जब लालू यादव ने बिहार की सत्ता संभाली, तभी से बिहार में सामाजिक न्याय की व्याख्या नए तरीके से होने लगी। हालांकि, उनसे पहले कर्पूरी ठाकुर और दारोगा प्रसाद जैसे अन्य मुख्यमंत्री भी हुए जिन्होंने समाज के पिछड़े-अल्पसंख्यक, दबे- कुचले और शोषित समाज को मुख्यधारा में लाने की कोशिशें कीं और योजनाएं बनाईं लेकिन उनका कार्यकाल इतना संक्षिप्त रहा कि उपलब्धियां नगण्य रहीं। लालू यादव के शासन में आने के बाद से इस सामाजिक धारणा ने सामाजिक बदलाव लाया। बदले में लालू यादव की सत्ता पर पकड़ मजबूत हुई।

अगला लेख पढ़ें

'मजार जिहाद' की राह उत्तराखंड में नहीं होगी आसान, एक्शन को बना सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार का धांसू

प्लान

सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार धर्म की आड़ में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ फुल एक्शन में नजर आ रही हैं। अवैध मजारों के खिलाफ धामी सरकार का सख्ती को लेकर एक्शन प्लान बना है।

सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार धर्म की आड़ में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ फुल एक्शन में नजर आ रही है। उत्तराखंड में अब किसी भी तरह से 'मजार जिहाद' की राह आसान नहीं होने वाली है। कार्बेट पार्क और रिजर्व फॉरेस्ट में अवैध मजारों के खिलाफ धामी सरकार का सख्ती को लेकर एक्शन प्लान बना है।

जिम कॉर्बेट पार्क, रिजर्व फॉरेस्ट और अन्य जगहों पर अवैध मजार निर्माण पर सीएम धामी ने सख्ती दिखाई है। एक प्राइवेट चैनल में इंटरव्यू में सीएम धर्माी ने साफतौर से वार्निंग देते हुए कहा कि 'मजार जिहाद' की बात हो या फिर कानून के खिलाफ जाने की बात हो, उत्तराखंड में कानून के विरुद्ध कुछ भी संभव नहीं होगा। कड़ी चेतावनी देते हुए सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड में किसी भी तरह का अतिक्रमण बदर्शत नहीं किया जाएगा।

बताया कि अतिक्रमण पर सर्वेक्षण करवाया गया था, जिसमें प्रदेशभर में करीब-करीब 1000 जगहों पर अतिक्रमण चिह्नित किया गया था। सीएम धामी के अतिक्रमणकारियों को सख्त वार्निंग देते हुए कहा कि वे सभी स्वत: ही अतिक्रमण को हटा लें, अन्यथा प्रशासन की टीमें अतिक्रमण के अभियान चलाएगी। कार्बेट पाक सहित रिजर्व फॉरेस्ट पर अतिक्रमण कर मजारों पर सीएम धामी ने कहा कि अतिक्रमणकारियों को बख्शा नहीं जाएगा।  और न्यूज़ पढ़ें

सीएम धामी कहना था कि 'मजार जिहाद' के नाम से सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण संभव नहीं हो पाएगा। उनका कहना था कि धर्म के नाम पर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर मजारें बनाईं गईं है। चिंता की बात है कि प्रदेश के मैदानी इलाकों से लेकर पर्वतीय जिलों में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे सभी अतिक्रमण को चिह्नित कर सख्त से सख्त एक्शन होगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ