बिहार: नीतीश कुमार द्वारा चलाया गया बिहार में नशाबंदी 2016 में लागू किया गया था लेकिन उसके अगले ही दिन शराब पीने वाले लोग ने शराब पीना नहीं छोड़ा और इसका नतीजा बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है लोगों का जो आप सबके बीच में देखने को मिलता होगा किसी गांव में तो किसी शहर में देख पा रहे हैं।
नई दिल्ली :
बिहार में जहरीली शराब से लोगों को मौतों का सिलसिला सामने का नाम नहीं ले रहा है. मोतिहारी जिले में 30 लोगों की मौत हुई है और इसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यू-टर्न लेते हुए मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया है. हालांकि पिछले साल नीतीश कुमार ने कहा था कि मृतकों के परिजनों को मुआवजा नहीं दिया जाएगा, लेकिन उनके हालिया बयान के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या बिहार में शराबबंदी बंद करने पर भी नीतीश सरकार विचार करेगी?
नीतीश कुमार ने हाल ही में मुआवजे का ऐलान करते हुए कहा कि मृतकों के परिजनों को लिखित में शराबबंदी का समर्थन करना होगा. साथ ही बताना होगा कि परिवार का कोई भी सदस्य भविष्य में शराब नहीं पिएगा. उन्होंने कहा कि मृतक के परिजनों की सरकार की तरफ से चार लाख रुपये की मदद की जाएगी. हालांकि नीतीश कुमार का यह बयान उनके पिछले दावे से बिलकुल उलट है. दिसंबर 2022 में बिहार के सारण जिले में 29 लोगों की मौत हो गई थी. उस वक्त नीतीश कुमार ने 16 दिसंबर 2022 को कहा था कि शराब पिओगे तो मरोगे. उन्होंने कहा था कि जो शराब पीकर मर जाएगा, उसे लेकर मुआवजा देने का सवाल ही पैदा नहीं होता है.
2016 में शराबबंदी हुआ था
अब सवाल यह है कि नीतीश सरकार क्या फिर से शराबबंदी करेंगे इस विचार पर यू-टर्न क्यों लिया गया क्याबिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू है, लेकिन सूबे के अलग-अलग हिस्सों से पकड़े जाने वाली शराब और जहरीली शराब के कारण होने वाली मौतें नहीं थम रही हैं.
और शराब बेचने वाले लोग शराब बेचने के लिए रुक नहीं रहे हैं शराबबंदी होने के कारण भी छुपा चोरी लोग शराब बेच रहे हैं और लोगों को बीमारियां फैला रहे हैं तो ज्यादातर इसे शेयर करें और शराबबंदी पर अत्याचार बढ़ाएं
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