कुछ दिन पहले कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में रात्रिभोज पर हुई विपक्षी दलों की बैठक में कई दलों के नेताओं ने वर्ष 2024 के चुनाव के लिए बैठक बुलाने की अपील की थी।
एक बहुत बड़ी खबर निकल कर आ रही है की कांग्रेस संसद के बजट सत्र खत्म होने के बाद विपक्षी एकता को लेकर बड़ी पहल की तैयारी कर रही है। पार्टी विपक्षी दलों की बैठक बुलाने पर विचार कर रही है। ताकि, वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता का खाका तैयार किया जा सके। पार्टी कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद विपक्षी एकता की रणनीति को अंतिम रूप देना चाहती है। वह अपने पार्टी के संसद से कानून को लेकर बहुत सहमत हैं।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस विपक्षी दलों की बैठक बुलाने की तैयारी कर रही है। शुरुआत में संसद के अंदर साथ देने वाली 19 पार्टियों को न्योता दिया जाएगा है। इस बैठक में विपक्षी एकता का खाका तैयार किया जाएगा। यह खाका तैयार करने के बाद एक और बैठक बुलाई जाएगी, इसमें दूसरे विपक्षी दलों को भी आमंत्रित किया जाएगा।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य करार दिए जाने के बाद विपक्षी दलों की तरफ से मिले समर्थन से भी एकता की उम्मीद जगी है। कुछ दिन पहले पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में रात्रिभोज पर हुई विपक्षी दलों की बैठक में कई दलों के नेताओं ने वर्ष 2024 के चुनाव के लिए बैठक बुलाने की अपील की थी।
तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हाल ही में दिए बयान से भी पार्टी को उम्मीद बंधी है। टीएमसी अभी तक कांग्रेस से दूरी बनाकर चल रही थी, पर कोलकाता में केंद्र सरकार के भेदभाव के खिलाफ धरने पर बैठी ममता बनर्जी ने सार्वजनिक तौर पर विपक्षी एकता की अपील करते हुए कहा था कि भाजपा को हराना जरूरी है। आज
पार्टी रणनीतिकारों का कहना है कि खड़गे के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस के विपक्षी दलों के साथ संबंधों में काफी बदलाव आया है। खड़गे सभी विपक्षी दलों की बात सुनने के बाद निर्णय करते हैं। इससे पहले अमूमन पार्टी अपना फैसला कर विपक्षी दलों के साथ सहमति बनाती थी। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि विपक्षी दलों की बैठक में शुरुआती सहमति बन जाएगी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पहले ही चेन्नई में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के जन्मदिन कार्यक्रम में साफ कर चुके हैं कि समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों को विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ एक साथ आना चाहिए। गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा और पीएम पद का चेहरा कौन होगा। इस बारे में पार्टी ने कोई दावा नहीं किया है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नाम से जुड़ा एक और नया मामला सामने आया है। चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के हमनाम को भी अयोग्य घोषित कर दिया है। आयोग के मुताबिक, चुनावी खर्च की जानकारी न देने के आरोप में 'राहुल गांधी के. ई. पुत्र ओ वलसम्मा' को अयोग्य घोषित किया गया है। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान केरल की उसी वायनाड सीट से इन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जहां से राहुल गांधी ने बड़ी जीत हासिल की थी। तब राहुल के इस हमनाम को 2196 वोट मिले थे।
सभी उम्मीदवारों को देना होता है चुनावी खर्च का हिसाब
समान नाम वाले निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए चर्चित नेताओं के खिलाफ चुनाव लड़ना आम बात नहीं है, लेकिन उन सभी को निर्वाचन आयोग के नियमों और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत अन्य अनिवार्य आवश्यकताओं के साथ चुनाव खर्च का लेखा-जोखा प्रस्तुत करना होता है।
संयोग से कांग्रेस नेता और वायनाड के सांसद राहुल गांधी को भी पिछले हफ्ते ही अयोग्य घोषित किया गया था, लेकिन उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि मामले में दोषसिद्धि और सजा के मद्देनजर यह कदम उठाया गया था।
चुनाव आयोग ने 29 मार्च को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 10ए के तहत अयोग्य घोषित व्यक्तियों की एक अद्यतन सूची जारी की। इसमें राहुल गांधी के. ई. पुत्र वलसम्मा का भी नाम है। ये 13 सितंबर, 2021 से 13 सितंबर, 2024 तक अयोग्य घोषित किए गए हैं।
धारा 10ए के अनुसार, यदि निर्वाचन आयोग इस बात से संतुष्ट है कि कोई उम्मीदवार चुनाव खर्च का लेखा-जोखा समय के भीतर और कानून द्वारा आवश्यक तरीके से दाखिल करने में विफल रहा है और उसके पास कोई वाजिब कारण नहीं है, तो निर्वाचन आयोग, सरकारी राजपत्र में प्रकाशित आदेश, उसे अयोग्य घोषित करता है। इसके साथ ही, ऐसा कोई भी व्यक्ति आदेश की तारीख से तीन साल की अवधि के लिए अयोग्य घोषित किया जाता है।
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